सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

न्यायिक जाँच में बिलम्ब क्यों????







दिल्ली विश्वविधालय के अम्बेडकर कॉलेज की लैब असिसटेंट पवित्रा भारव्दाज ने मानसिक व यौन शोषण का आरोप कॉलेज के प्रधानाचार्य और कुछ स्टाफ कर्मचारियों पर लगाया,जिस कारण उसे बर्खास्त कर दिया गया। शोषण व बर्खास्तगी का विरोध करते हुए वह दिल्ली विश्वविधालय के कुलपति-कार्यालय भी गई लेकिन कहीं भी सुनवाई नही हुईं।
30सितम्बर को वह(पवित्रा) दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से मिलने गईं लेकिन शीला दीक्षित ने मिलने से मना कर दिया, जिसके कारण पवित्रा ने दिल्ली सचिवालय के सामने आत्मदाह कर लिया जिसमें अस्सी प्रतिशत जली और कुछ दिन चलें उपचार के दौरान अस्पताल में ही उनकी मृत्यु हो गईं।
हाँलाकि डीयू प्रशासन ने अब अम्बेडकर कोलेज के प्रधानाचार्य व मुख्य आरोपी जीo केo अरोड़ा को सस्पेंड तो कर दिया लेकिन दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार नें कार्यवाही करने में दिलचस्पी व निष्पक्षता नही दिखाई जबकि मरने से पहले उन्होनें प्रधानाचार्य व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ बय़ान दिया।
दिल्ली पुलिस इस बय़ान को पुख्ता सबूत नही मान रही जबकि गीतिका केस में गोपाल कांडा को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था,क्योंकि गीतिका ने सुसाइड नोट पर आत्महत्या का कारण गोपाल कांडा को बताया था।इस केस में मृतका नें मरने से पूर्व पुलिस को बय़ान दिया हैं,लेकिन आरोपी के खिलाफ पुलिस कार्यवाही क्यों नही कर रही?क्या आरेपी की पहुँच केन्द्र सरकार तक हैं? दो दिन पहले विश्वविधालय गवर्निंग बॉडी ने अरोड़ा को सस्पेंड किया लेकिन वह अब भी विश्वविधालय में जा प्रशासनिक काम कर रहे हैं।यह कैसा सस्पेंशन हैं?
प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही तो पता नही कब तक अपना काम निष्पक्ष होकर करेगी?लेकिन उन नारीवादी संगठनों का क्या जो आज से दस महीने पहले जंतर-मंतर,इंडिया गेट, संसद की गलियों में निर्भया को न्याय और महिला सशक्तिकरण के लिए माँग कर रही थी,तमाम मीडिया चैनल दिन-रात का कवरेज दे रहे थे,जेएनयू व दिल्ली विश्वविधालय के छात्रों का हुज़ूम अपने अपने कैम्पस से इंडीया गेट तक न्याय की माँग कर रहे थे।कहाँ गये यें लोग? शायद मीडिया चुनावों की दौड़ में अपने आँकड़े सही साबित करने और टीआरपी को बढ़ाने में लगे हैं और विश्वविधालय के छात्र अपनी परिक्षा की तैयारी में।तभी किसी को पवित्रा के साथ होने मानसिक व यौन शोषण और आत्महत्या दिखाई नही देता।लेकिन पवित्रा से जुड़े लोग कालेज के प्रोफेसर और कुछ विद्यार्थीं ही पवित्रा को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.सोच कर देखिये कोई भी व्यक्ति झूठ के लिए आत्मदाह करेगा क्या?